हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड को लेकर आए दिन भाई- भतीजावाद और कास्टिंग काउच के आरोप लगते रहे हैं. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कहा गया था कि इंडस्ट्री के कुछ लोग उनके पीछे पड़े थे और उनका करियर तबाह करना चाहते थे. अब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को लेकर भी ऐसा ही बड़ा खुलासा हुआ. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की स्थिति बहुत बदतर है, इसे कुछ पुरुष निर्माता, निर्देशक और अभिनेता नियंत्रित करते हैं. वही तय करते हैं कि किसे काम दिया जाए और किसे नहीं. ये किसी का भी करियर बर्बाद कर सकते हैं. ऐसा मैं इस लिए कह रहा हूं क्योंकि इसका खुलासा न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट में हुआ है. चलिए जानते हैं हेमा समिति रिपोर्ट क्या है, यह कमेटी क्यों बनाई गई, और इसमें क्या- क्या खुलाए किए गए.
ये कहानी शुरू होती है 14 फरवरी 2017 से जब मलयालम फिल्मों की एक मशहूर अभिनेत्री अपनी कार से कोच्चि जा रही थीं. तभी उन्हें अगवा कर लिया गया. उन्हीं की कार में यौन उत्पीड़न किया गया. यह अपहरण ब्लैकमेल करने के इरादे से किया गया था. वारदात की जानकारी जंगल में आग की तरह पूरे केरल में फैल गई. सिने प्रेमी सड़कों पर आ गए. इसमें नामचीन एक्टर दिलीप समेत 10 लोगों के नाम सामने आए. जन आक्रोश से पुलिस दबाव में आ गई. देखते ही देखते छह आरोपी धर लिए गए. सबको जेल जाना पड़ा. इस वारदात के बाद मलयालम सिने इंडस्ट्री में महिला कलाकारों की सुरक्षा, काम की शर्तों आदि को लेकर आवाज उठने लगी. लोग सड़कों पर उतरने लगे. आंदोलन तेज होता जा रहा था. अंततः मजबूर होकर तत्कालीन सीएम ने वारदात के पांच महीने बाद जुलाई में केरल हाईकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस हेमा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी. कमेटी को जो टास्क दिया गया उसमें पूरी मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों, सहयोगियों और अन्य स्टाफ की सेवा शर्तें, काम के बदले समुचित मेहनताना, शूटिंग स्थल पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजामात आदि को लेकर रिपोर्ट देना था.
इस कमेटी ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को पूरी तरह मथ डाला. सैकड़ों की संख्या में महिला कलाकारों, टेक्नीशियन्स तथा अन्य से बातचीत की. जरूरी बयान रिकार्ड किये गए. फिर साल 2019 के अंत में इस कमेटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट सीएम पी. विजयन को दी, जिसमें अनेक खुलासे किये गए थे. कह सकते हैं कि यह रिपोर्ट मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के सभी स्याह चेहरों का खुलासा कर रही थी. कास्टिंग काउच से लेकर फिल्म के सेट पर शराब आदि पीने के प्रमाण पाए गए. कमेटी ने इस मामले की विस्तृत जांच हेतु एक न्यायाधिकरण के गठन की सिफारिश की थी. रिपोर्ट देखने के बाद सीएम को इसकी गंभीरता का अंदाजा हो गया था. उन्हें यह भी पता चल गया था कि अगर इसे सार्वजनिक कर दिया गया तो राज्य में तूफान मच जाएगा. नतीजा यह हुआ कि सरकार ने कानूनी सहारा लेते हुए करीब दो साल तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. अनेक संगठनों की मांग के बावजूद सरकार ने विधान सभा में स्पष्ट कहा कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक करने से लोगों की निजता का उल्लंघन होगा. आक्रोश को ठंडा करने के लिए राज्य सरकार ने जनवरी 2022 में एक पैनल गठित किया, जिसने कुछ महीनों बाद ही अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश की. इसमें इस इंडस्ट्री में जॉब करने वालों के कान्ट्रैक्ट को अनिवार्य करना, महिलाओं- पुरुषों के लिए एक ही तरह का भुगतान सुनिश्चित करना, शूटिंग वाले स्थान पर शराब- ड्रग्स पर सख्ती से पाबंदी और महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल तैयार करना शामिल है.
इस रिपोर्ट को जारी करने के लिए पांच आरटीआई कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों ने केरल राज्य सूचना आयोग से संपर्क किया तो उसने 6 जुलाई 2024 को आदेश दिया कि आयोग के सामने गवाही देने वालों की निजता बरकरार रखते हुए रिपोर्ट को कंट्रोल रिलीज किया जाए. हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने एक फिल्म निर्माता की याचिका पर इस रिपोर्ट के रिलीज पर रोक लगा दी थी. अब यह रिपोर्ट जारी की गई है.