टीवी सीरियल ‘ तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के शौकीन तो हम सभी हैं, तभी तो लंबे समय से चलने के बावजूद ये सीरियल टीआरपी में बना रहता है । लेकिन क्या आप जानते हैं अनिरुद्ध आचार्य भी सीरियल ‘ तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के फैन हैं । हाल ही में उनकी कथा सुनने आई एक महिला ने उनसे अपने बच्चों की शिकायत करते हुए कहा कि उनके बच्चे टीवी बहुत देखते हैं । जब अनिरुद्ध आचार्य ने उनसे पूछा कि बच्चे टीवी पर क्या देखते हैं तो महिला ने जवाब दिया कि वे तारक मेहता का उल्टा चश्मा देखते हैं ।
इसके बाद अनिरुद्ध आचार्य ने बताया कि वो भी कभी तारक मेहता का उल्टा चश्मा देखा करते थे । अनिरुद्ध आचार्य ने कहा ‘ दया चली गई बेचारी’ । उन्होंने कहा- ” मैं पहले कभी कभी देखा करता था जेठालाल को मगर दया जबसे गई है उसका स्वाद कम हो गया है । ” आचार्य ने आगे कहा, ” बढ़िया है उसको देखने से मन खुश रहता है, दया जी तो चली गईं । व्यक्ति थोड़ा हंस लेता था उसको देखकर । बहुत सारी चीजें उसमें हंसने हंसाने के लिए बढ़िया है । जो अच्छी चीज है उसे देख लेने में बुराई नहीं है । मैं भी कभी कभी देख लिया करता था । वैसे मेरा एक मानना है कि दया नाम की स्त्री थी जो उसमें उसने बहुत पुण्य का काम किया, वैसे जेठालाल बहुत अच्छा है दया भी बहुत अच्छी है । उनका जो अभिनय था गजब का था, लाखों नहीं करोड़ों लोगों को हंसाने का काम उन्होंने किया है । गजब हंसाया, खूब हंसाते थे लोगों का आशीर्वाद लेते थे । पता नहीं दया क्यों चली गई? ”
अनिरुद्ध आचार्य ने आगे कहा, ” मैंने सुना है कुछ पैसों की वजह से गई हैं । जो चाहती थीं वो नहीं मिला, पर पैसा अपनी जगह होता है, पर अगर हम किसी को हंसाने के काम आ रहे हैं, तो ये भी सबसे बड़ा पुण्य है । दया को वो सीरियल छोड़ना नहीं चाहिए था । मैं ये कहना चाहता हूं दया से । वो रहती तो पैसा तो अपनी जगह है, पर वो खुश रहती । उसमें मुख्य पात्र तो जेठा और दया ही हैं । सब चले जाते तो कोई फर्क नहीं पड़ता । जेठालाल तो है अभी, वो चला भी रहा है । मगर दया भी अच्छा पात्र है उसमें । कोई बात नहीं दया गयी थी सोने तो वापस आ जाए, उसको आशीर्वाद मिलेगा । सबको हंसाती थी बेचारी, बहुत अच्छा था । ”
अनिरुद्ध आचार्य ने आगे ये भी कहा कि जेठालाल का बबीताजी को देखना गलत था । बाकी उसमें सब अच्छा था । ऐसा तो हर पुरुष सोचेगा उसकी भी एक बबीता हो, आपका पुरुष भी ऐसा सोचने लगा तो, वो तो सीरियल था आपका पति सच में सोचने लगा तो?