भेड़िया आया ! भेड़िया आया !! वास्तव में भेड़िया आ गया है। यह मजाक नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश के बहराईच इलाके की हकीकत बन चुका है। नौ से ज्यादा लोगों की भेड़ियों ने जान ले ली है। दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। मां की गोद से बच्चों को छीन कर भेड़िया अपना निबाला बना रहा है। कुछ मांओं की कहानियां भी सामने आ रही हैं जिसमें अपने बच्चों को बचाने के लिए जद्दोजहद है। वन विभाग की अनेक टीम भेड़ियों को पकड़ने में लगी हैं। कुछ भेड़िये पकड़ भी लिए गए हैं। कुछ को पकड़ना बांकी है। स्थानीय विधायक ने भेड़ियों से मुकाबला करने के लिए अपनी बंदूकें भी उठा ल ी है ? चारों तरफ भेड़ियों की ही चर्चा है? एक दहशत का माहौल व्याप्त है।
इन हिंसक जानवरों के निवास पर मनुष्यों ने कब्ज़ा कर लिया है। अब भेड़िया जाय तो कहाँ जाय? भेड़िया अब आदमी के जंगल में घुस गया है और तबाही मचा रहा है। भेड़ियों के साथ-साथ तेंदुआ और गुलदार जैसे हिंसक जानवर भी मनुष्य की बस्तियों में आ धमके हैं? बस्तियां दहशत में हैं। बच्चे यहाँ से पलायन कर रहे हैं। शाम ढलते ही लोग अपने घरों में दुबक जा रहे हैं।
भेड़िया अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात है। यह गाली का पर्याय बन चुका है। अखबारों में भेड़ियों की चर्चा बहुत होती है। खासकर दो पैर वाले भेड़ियों की? काम जिनका हिंसक पशु सा, शक्ल से जो आदमी दिखता है? आईये ! भेड़िया को लेकर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने जो कविता लिखी है, थोड़ा उसे भी पढ़ लिया जाय। इस कविता में अभिव्यंजना कम, अविधा ज्यादा है। क्या कहते हैं सक्सेना –
भेड़िया गुर्राता है
तुम मशाल जलाओ।
उसमें और तुममें
यही बुनियादी फर्क है
भेड़िया मशाल नहीं जला सकता।
अब तुम मशाल उठा
भेड़िये के करीब जाओ
भेड़िया भागेगा।
करोड़ों हाथों में मशाल लेकर
एक-एक झाड़ी की ओर बढो
सब भेड़िये भागेंगे।
फ़िर उन्हें जंगल के बाहर निकाल
बर्फ में छोड़ दो
भूखे भेड़िये आपस में गुर्रायेंगे
एक-दूसरे को चीथ खायेंगे।
भेड़िये मर चुके होंगे
और तुम?
भेड़िए फिर आएँगे।
अचानक
तुममें से ही कोई एक दिन
भेड़िया बन जाएगा
उसका वंश बढ़ने लगेगा।
भेड़िए का आना ज़रूरी है
तुम्हें ख़ुद को पहचानने के लिए
निर्भय होने का सुख जानने के लिए
मशाल उठाना सीखने के लिए।
इतिहास के जंगल में
हर बार भेड़िया माँद से निकाला जाएगा।
आदमी साहस से, एक होकर,
मशाल लिए खड़ा होगा।
इतिहास ज़िंदा रहेगा
और तुम भी
और भेड़िया?
भेड़िया को पकड़िए,पर भेड़िया से अवश्य कुछ सीखिए। भेड़िया बहुत सामाजिक जानवर है? इनके पास अपनी सामाजिकता है। यह अकेला नहीं रह सकता है। भेड़िए को एक मजबूत समाज चाहिए। यह बहुत ही वफादार है अपने माता-पिता का। भेड़िया अपने बुजुर्गों को मांद में ही रखता है। इन्हे बाहर शिकार पर जाने नहीं देता। भेड़िया अशक्त माता-पिता का लालन-पालन करता है। भेड़िया मौन में नहीं जीता। इसके पास प्रतिकार की ताकत है। यह मुर्दार नहीं खाता। यह मुर्दा कौम भी नहीं है। इसे गुलामी कभी पसंद नहीं आती। गुलामी की अवस्था में यह खुराक लेना छोड़ देता है। अन्य हिंसक पशु कैद में भी जिन्दा रह जाएगा,पर भेड़िया नहीं। भेड़िये लाख अपमानित हों,पर यह गुलाम नहीं होते? भेड़िया अपने परिवार वालदा और बहन को सोहबत की निगाह से देखता है। शरीक-ए-हयात का वफादार होता है भेड़िया। भेड़िये की प्रजाति भी वफादारी के मिसाल होती है। कुत्ते भी इसी प्रजाति के हैं। लोगों ने कुत्ता को भी गाली बना दिया है,पर इनकी वफादारी से कुछ सीख नहीं पाए हम ?
भेड़िया अरबी भाषा का इब्न अलवार है जिसका अर्थ है नेक बेटा। यहाँ हर बाप चाहता है कि उसका बेटा इब्न अलवार हो ? आप मुआविया शब्द से वाकिफ होंगें ? नहीं जानते हैं तो जान लीजिये। मुआविया का अर्थ है भेड़िया का बच्चा। अरब में गर्व से अपने बच्चों का नाम लोग मुआविया रखते हैं ? पूरा चाँद निकलता है तो भेड़िया रोता है। इस रुदन में इन्हे अपनेपन की तलाश होती है। भेड़िया शेर की खाल में हो या भेड़ की खाल में हो, भेड़िया अपना धर्म कभी नहीं छोड़ता । अपनी चाल को और अपने चरित्र को कभी नहीं बदलता ।इनके बच्चों को छेड़ने पर यह किसी को नहीं छोड़ता। यह अपने बच्चों की बर्बादी पर कोई कम्पनसेशन भी नहीं लेता। यह दुश्मन को पहचानता है और बदला लेने से नहीं चूकता।
भेड़िये का जंगल नहीं बच पाया। इनकी मांद पर मार्किट लग गया है। पर भेड़िया अपने जंगल को बचाने का भरपूर प्रयास करता है। अगर इस प्रयास को जानना हो तो फिल्म भेड़िया अवश्य देखें। यह वरुण धवन और कृति सेनन अभिनीत है। वेयरवोल्फ एक करेक्टर है जो अरुणाचल प्रदेश की एक लोककथा का नायक है। इस फिल्म में भेड़िया जंगल को बचाने के लिए अपनी शक्ल बदलता रहता है। भेड़िया मनुष्यों की जमात में आकर पछतायेगा कि वह कहाँ आ गया है ? भेड़िया से ज्यादा खतरनाक मनुष्य प्रजाति यहाँ मौजूद है । भेड़िये के बारे में मैंने अभी चर्चा की है कि वे अपनी बहन बेटी को किस तरह मोहब्बत की नजर से देखते हैं और वालिद का ख्याल रखते हैं ? हाइब्रिड भेड़िया तो यहाँ भी मौजूद है जो अपनी मां-बहनों को भी नहीं छोड़ता?भेड़िये को अवश्य पकड़िए। इनको अपने स्थान पर जरूर पहुंचा दीजिये। लेकिन जो कुछ सीखना हो इन भेड़ियों से सीख लीजिये। भेड़िया अपनी जाति के लिए वफादार है ,पर यह मनुष्य जाति ? यह तो अपनी ही जाति का खून पीने की आदी हो गयी है। अपने भीतर के भड़िये को भी पहचानिये। इसके गुणधर्म को समझिये।