Emergency Film: कंगना की ‘इमरजेंसी’ सात दिन बाद रिलीज होने वाली है। भाजपा की यह इंदिरा परदे पर जुल्म ढाते नजर आएगी। आपातकाल में क्या-क्या हुआ, उसे अभिनय कर बताएगी? कंगना भाजपा के लिए क्वेश्चन नहीं,बल्कि एक आंसर है। इस आंसर को भूल से भी आप डांसर न मान लें? ऐसा करने पर आप भक्तों के कोपभाजन का शिकार हो सकते हैं। ध्यान रहे कि भाजपा का भक्ति आंदोलन अभी ख़त्म नहीं हुआ है? और कोई दास हो या न हो,पर सूरदास यहाँ बहुत हैं?
अभिनेता को नेता बनाने का यही सब फायदा होता है। अक्षय कुमार ने भी मोदीजी की जनवादी छवि को अपने साक्षात्कार के बहाने देश के सामने लाया था। बहुत ही काम के हैं ये सितारे? रविकिशन, निरहुआ, पवन सिंह, मनोज तिवारी, धर्मेंद्र, सन्नी देओल, हेमा मालिनी, परेश रावल जैसे सितारों की मुफीद जगह भाजपा रही है। इन चमकते सितारों के बीच एक ही कमी रह गयी है कि भाजपा अबतक सन्नी लियोनी और राखी सावंत को संगठन से जोड़ नहीं पायी है? यह भाजपा के सांगठनिक कौशल पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है? सॉरी! बात यहाँ मैं केवल कंगना पर ही करना चाहता हूँ। इधर-उधर समय देखकर ही भटकूंगा।
मोदीजी भी आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरते आ रहे हैं। कंगना भाजपा का भविष्य है। यही भविष्य की इनकी भारत माता है। यह उम्मीद की जा रही है कि भाजपा की तरफ से कंगना कांग्रेस का जबाव बनेगी। भाजपा इस वीरांगना को पाकर निहाल है। यह बयानचंडिका भाजपा का भारत के लिए एक अभूतपूर्व खोज है? भाजपा के इस डिस्कवरी ऑफ़ कंगना पर किसे गर्व नहीं होगा?
इमरजेंसी फिल्म इनकी रिलीज हो इसके पहले ही भाजपा ने कंगना पर इमर्जेन्सी लगा दिया कि वह अब कहीं भी चु-चपर नहीं करेगी। सैंया के कोतवाल होने पर उदंडता तो यूँ ही सामने आ जाती है? कंगना ने हमेशा सैयां भईल कोतवाल की कहावत को हमेशा जिन्दा रखने का कार्य किया है। कंगना आलाकमान की चहेती नेता है। किसकी हिम्मत कि कंगना के खिलाफ कोई कुछ बोल दे? सत्ता की मंडी में जब कंगना ने कदम रखा था तो काफी विरोध हुआ था बावजूद उन्हें टिकट मिला और जीत भी गयी।
कंगना सामान्य नेता नहीं है। कंगना वह चेतक है जिसपर महराणा प्रताप ही सवारी कर सकता है। कंगना को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल था। इस बेलगाम सांसद को आलाकमान ही कंट्रोल कर सकते हैं और वही हुआ। कंगना अटर-पटर बयान देती रही। भाजपा कार्यकर्ता के सामने असमंजस की स्थिति रही कि वो बोले तो क्या बोले? आलाकमान ने कंगना को संज्ञान में लिया और हड़काया कि ज्यादा खनकने की जरुरत नहीं है।
कंगना के पोर-पोर में इतनी बेवकूफियां भरी हैं। इनका बड़बोलापन भाजपा के लिए अक्सर मुसीबत बनता रहा है। हाल में इन्होने किसान आंदोलन के लिए अपमान जनक टिपण्णी की कि आंदोलन स्थल पर लाशें लटकी पड़ी थी। वहां दुष्कर्म हो रहे थे। आंदोलनकारी बांग्लादेश की तर्ज पर भारत को तबाह करना चाहते थे। वो तो मोदी ही थे जो सम्हाल लिया वर्ना भारत बांग्लादेश हो जाता?
इस बयान पर हंगामा होना लाजिमी ही था। पूरे हरियाणा में विरोध का बिगुल बज गया। ऊपर से यहाँ विधान सभा का चुनाव ! तीसरी बार सरकार बनाने के मंसूबों को यह बयान ध्वस्त करने वाला था। आलाकमान घबरा गया। पार्टी ने कंगना के बयान से अपने किनारा कर लिया। बिना विचारे जो बोले सो पाछे पछताय। इसी कारण कंगना को थप्पड़ भी लगा था। कंगना पार्टी की केवल शो पीस है नमूना बनने की हड़कत न करे। पर कंगना है कि मानती नहीं।