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Sat. Jun 14th, 2025

सिनेमा हॉल रेस्टोरेंट में क्यों बदलते जा रहे हैं ?

Why are cinema halls being converted into restaurants?
Why are cinema halls being converted into restaurants?

”कौन कहता है कि आसमां पे सुराख नहीं होता
कोई तबीयत से पत्थर तो उछालो यारो” 🙂

पिछले दो दशकों से सिनेमा देखने और दिखाने का ढंग बदल गया है ……बड़े सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल्स की जगह छोटे-छोटे ऑडी वाले मल्टीप्लेक्स ने ले ली है जो फिल्म की टिकट के साथ साथ महंगे पॉपकॉर्न ,बिरयानी ,कोल्ड ड्रिंक्स भी बेचते है …….ये सिनेमा हॉल कम रेस्टोरेंट अधिक लगते है इसलिए परिवार के साथ इन मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखना जेब के लिए बड़ा भारी पड़ता है इसलिए सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल्स में फिल्म देखना सस्ता और सुगम होता था…….. यह मल्टीप्लेक्स फिल्म के आलावा भी अपनी कमाई के साधन खोजते रहते है इस कमाई का सबसे बड़ा स्रोत्र फिल्म से पहले दिखते जाने वाले विज्ञापन भी है लेकिन आप ने भी महसूस किया जब आप फिल्म देखने जाते है तो फिल्म शुरू होने से पहले इन मल्टीप्लेक्स में बहुराष्ट्रीय कंपनियो के लम्बे-लम्बे विज्ञापन आपको जबरन दिखाए जाते है और आप यही सोचते रहते है कि ”

यार ……फिल्म कब शुरू होगी ?

इन विज्ञापनों को झेलने के आलावा आपके पास और कोई दूसरा चारा नहीं होता ……लेकिन इस के खिलाफ बेंगलुरु के 30 वर्षीय अभिषेक एमआर ने उपभोक्ता अदालत में पीवीआर सिनेमा, आईनॉक्स और बुकमायशो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी उनका आरोप था कि……

” उन्होंने फिल्म से पहले 25-30 मिनट तक विज्ञापन दिखाकर उनका समय बर्बाद किया जिससे उन्हें मानसिक परेशानी हुई और उनके आगे के काम भी प्रभावित हुए ”’

दरअसल अभिषेक ने 2023 में फिल्म ‘सैम बहादुर’ के लिए तीन टिकट बुक किए थे शो का समय 4:05 बजे बताया गया था और फिल्म 6:30 बजे खत्म होने वाली थी उन्होंने सोचा था कि फिल्म के बाद वे अपने बाकी काम पूरे कर सकेंगे लेकिन जब वह थिएटर पहुंचे तो फिल्म तय समय के बजाय 4:30 बजे शुरू हुई, क्योंकि थिएटर में लंबे समय तक विज्ञापन और ट्रेलर दिखाए गए उन्होंने इसे गलत व्यापारिक प्रथा बताया और कहा कि……..”

” थिएटर कंपनियां विज्ञापनों से लाभ कमाने के लिए दर्शकों का समय बर्बाद कर रही हैं जबकि वो दर्शक टिकट का पैसा मुँहमाँगा पैसा खर्च कर सिर्फ फिल्म देखने आया है ”

अब इस मामले पर उपभोक्ता अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि …..

”किसी को भी दूसरों के समय और पैसे का गलत फायदा उठाने का अधिकार नहीं है ”

अदालत ने पीवीआर और आईनॉक्स को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया क्योंकि उन्होंने गलत तरीके से उपभोक्ता का समय बर्बाद किया. मानसिक परेशानी के लिए 5000 रुपये और मुकदमे के खर्च के लिए 10 हजार रुपये एक्सट्रा देने को कहा गया ………इसके अलावा,उपभोक्ता कल्याण कोष में 1 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया ……..बुकमायशो को अदालत ने राहत देते हुए कहा क्योंकि वह सिर्फ टिकट बुकिंग का प्लेटफॉर्म है और उसे थिएटर में दिखाए जाने वाले विज्ञापनों पर कोई कंट्रोल नहीं होता ………पीवीआर और आईनॉक्स ने अपने बचाव में कहा कि उन्हें कुछ सार्वजनिक सेवा घोषणाएं (PSA) दिखाने के लिए बाध्य किया गया था …….लेकिन अदालत ने कठोर और साफ शब्दो में निर्देश दिया कि ऐसे विज्ञापन केवल 10 मिनट के अंदर ही दिखाया जाना चाहिए चाहिए या उन्हें इंटरवल के दौरान भी दिखाया जा सकता है….

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